हाय ये मजबूरी, हाय ये मजबूरी

हाय ये मजबूरी, हाय ये मजबूरी

हाय ये मजबूरी, हाय ये मजबूरी   माँ कहती है -“गाँव में जन्मी थी मैं “ बेखबर मेरे मकसद से पली-बड़ी थी मैं उछलती-फुदकती खेल की अलग ही दुनिया बनाई खुदकी भूख भूल पहले मुझे वो हमेशा खिलाई मेरी माँ की थी मैं दुलार वही थी मेरी सबसे अच्छी यार,…

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